Tuesday 8 September 2015

बलराज सिंह सिद्धू की शॉर्ट फ़िल्म 'जिन्दरा'  
पुरातन रिवायत को तोड़ने की कोशिश 
Balraj S Sidhu & Raj Dhaliwal

राज फिल्मज के बैनर तले राज धालीवाल और बलराज सिंह सिद्धू की पहली शॉर्ट फिल्म 'जिंदरा' की शूटिंग बीते दिनों पंजाब के अमलोह और आसपास के गाँवों में मुकम्मल की गई। अदाकारा राज धालीवाल इससे पहले 'कौम दे हीरे', 'बारी', 'बर्फ', '47 टु 84', 'नाबर', 'मुंडियाँ तोँ बच के रहीँ' आदि फिल्मों में काम करके अपनी गहरी पहचान बना चुकी है, वहीँ यु के निवासी पंजाबी लेखक व गीतकार बलराज सिंह सिद्धू 'मोरां दा महाराजा', 'मस्तानी', 'अग्ग दी लाट : प्रिंसेस डायना' जैसी अपनी चर्चित पुस्तकों और गायक अंग्रेज अली द्वारा गाये गीत 'धोखा ना देखी दे जाईं', 'नचदी दे मित्तरां ने नाल नचना' से शोहरत पा चुके हैं। 'जिंदरा' की कहानी और इसके संवाद बलराज सिद्धू ने खुद लिखे हैं और निर्भय धालीवाल और पुनीत धालीवाल द्वारा इसका निर्देशन किया गया है। इस फिल्म में अहम भूमिका अदा करने वाले अदाकार राज धालीवाल, जोबन धालीवाल, बलराज सिंह सिद्धू, किरणप्रीत कौर कालिया, रछपाल सिंह, बलजीत कौर, हरगुन ईमान सोमल, तीर्थ सिंह, जगदीप सिंह और नाजर सिंह हैं। फिल्म का बैक ग्राउंड संगीत हरप्रीत अनाड़ी ने दिया है। सिनेमोटोग्राफी हरप्रीत सिंह की है। गोपी आलमपुरिया इस फिल्म के डी ओ पी हैं। बलात्कार की समस्या को छूती इस फ़िल्म की कहानी के बारे में लेखक बलराज सिद्धू का कहना है कि आम तौर पर हमारी फिल्मों में दिखाया जाता है कि बलात्कार का शिकार होने के बाद पीड़िता या तो आत्महत्या कर लेती है या उसकी ज़िन्दगी नरक बन जाती है। इस फिल्म द्वारा यहाँ हाई लाईट करने का प्रयास किया गया है कि बलात्कार की शिकार औरत को समाज में सम्मान से जीने का हक़ क्यों नहीं दिया जाता। अदाकारा राज धालीवाल का कहना है कि समाज के आगे अहम सवाल खड़ा करना फिल्म का मुख्य उद्देश्य है। इस फ़िल्म में फ़िल्म की पुरानी परंपरा जिसमे आत्मघात या निराशा भरी ज़िन्दगी जीने की प्रेरणा दी जाती थी, को तोड़ने का यत्न किया गया है। दूसरी खास बात यह है कि फ़िल्म की सारी की सारी तकनीकी टीम पटियाला यूनिवर्सिटी से जुड़े युवकों की है। फिल्म की पोस्ट प्रोडक्शन इंग्लैंड में हॉलीवुड की फ़िल्म 'ब्लैक प्रिंस' कर चुके मनोज रिक्की द्वारा की जा रही है। 


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